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Minati Rath

Comedy Action

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Minati Rath

Comedy Action

परीक्षा की वो घड़ी

परीक्षा की वो घड़ी

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परीक्षा की वो घड़ी में

कुछ पल के लिए ऐसा लगा...

जैसे सारी दुनिया हमसे रूठ गई है,

सब्र की बांध टूट गई है,

आंशु इस इंतज़ार में हैं

कि बस बहजाएं

कांपते हाथों का इंतज़ार

कि कोई चुपके से कुछ कहजाए

बस कुछ तो मदद मिलजाए...


कुछ पल के लिए ऐसा लगा...

सारी गलती हमारी थी

गुरु की बात न मानकर

शिक्षा की अवमानना जो की

और उसी क्षण यह लिया प्रण

कि आजसे ऐसा कुछ भी नहीं

सब सही करेंगे

सबकी बात मानेंगे

बस गुज़र जाए किसी भी तरह

परीक्षा की ये तीन घंटे।


वक्त गुज़र गया

उत्तरपुस्तिका निरीक्षक के हाथ में देते हुए

एक लंबी सांस ली

और भीड़ से बाहर आए

पीछे मुड़कर देखा जब भीड़ की हालत

फिर ऐसा लगा...

जैसे कुछ हुआ ही न हो।


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