2020 की यादे
2020 की यादे
बीत गया जो वक्त
खट्टे मीठे यादों के संग
कभी खुशियों की बन
मुस्कान ।।
गम के बादल छाए
मायूस निराश जिंदगी में
आश उम्मीदों पर काले बादल
छाए ।।
उत्साह उमंग जश्न जोश से
हुआ साल दो हज़ार बीस का
आगाज़।।
जन मानस उन्नीसवीं को
भुला चुका भूल चुका था उन्नीस
अंत मे मानवता संघरक
शुरू हो चुका कोरोना मार।।
नव वर्ष का शुभारंभ शुभ
मंगल का गान मानवता की
खुशियाँ ना रहीं कोरोना बनकर
टूटा काल।।
सर्वत्र विश्व मे सन बीस
में मच गया हाहाकार
अज्ञात अदृश्य शत्रु युग मे
ईश्वर की परम सत्ता सृष्टि में
यमराज सा काल अवतार।।
चीन के बुहान में ना जाने कैसे
लिया कोरोना दानव ने अवतार
सारे विश्व मे करने लगा मौत का
नंगा नाच ।।
कोरोना के लिये उम्र जाती पाती
अमीर गरीब ऊंच नीच का भेद
नही जिसने की लापरवाही
कोरोना का परिहास।।
जकड़ लिया दामन में
बना कोरोना का ग्रास
ना जाने कितनी माँ ने खोए
अपनीऔलाद संतान।।।
कितनी ही दुल्हन ने खोया
अपना सुहाग
सड़कें बीरान रिश्ते नातों
का बदल गया समाज।।।
गले मिलना हाथ मिलाना
समाप्त हुआ रिवाज
हाथ धुलना दो ग़ज़ दूरी
एक दूजे से हुआ अनिवार्य।।
कोरोना कोविद उन्नीस कहर
का जहर उगल रहा था विश्व
एक कमरे में सिमट गया।।
बदल गया पारिवारिक
संस्कृति संस्कार समय नही
मिलता था कोरोना ने दे दिया
समय सभी को बदले अपना
वेवस विवश पारिवारिक संस्कार।।
नदियां पर्यावरण स्वच्छ हुये
दुर्घनाएं हुए समाप्त
पर मजदूर रोज कमाने खाने
वाले कोरोना के कहर में घर
शहर में भुखमरी के कागार।।
चहुँतर्फा मौत का खौफ सन
दो हज़ार बीस का व्यवहार
गया बीस देकर विरासत अपनी
सन इक्कीस को इक्कीस में भी
मानवता कोरोना के कहर से कर
रही चीत्कार।।
