STORYMIRROR

राजकुमार कांदु

Abstract Tragedy Inspirational

4  

राजकुमार कांदु

Abstract Tragedy Inspirational

वतन के रखवाले

वतन के रखवाले

2 mins
217

तान के सीना ‘ कदम मिलाके ‘ चले वतन के रखवाले

देश की खातिर जीनेवाले ‘ देश प्रेम के मतवाले

मरने की हम बात करें ना ‘ हम शत्रु को मारें

घात लगाकर भूखे शेर सा दुश्मन को संहारें


कैसी भी मुशकील हो चाहे कैसी भी हों राहें

जिगर शेर का रखते हैं और फौलादी हैं बाहें

बोली प्रेम की बोलें हम तो बिछड़ों को भी जोड़ें

अगर कोई छेड़े हमको तो उसको कभी ना छोड़ें


जख्म दिए हमने जो तुमको भूल नहीं पाओगे

ओ पापी बुजदिल चेहरा तुम कैसे दिखलाओगे

तुमने मारे अठरा तो हम अड़तीस मार के आये

देश ने की तारीफ़ तो जग भी जी भरके मुस्काए


लड़ो गरीबी से भूख से और नए नए तुम काम करो

बेकारी अपराध झूठ और लूट का काम तमाम करो

लोग पहुंच गए मंगल पे पर तुम तो पहुंचे बलूचिस्तान

अंग भंग हुआ बंग बनाके अब तो सुधरो पाकिस्तान


दो कौड़ी औकात तुम्हारी हमसे तो ना उलझो तूम

खुद को देख कर हमको देखो फिर येसोचो समझो तुम

गर हमला करने की जुर्रत भी जो तुमने करनी है

उससे पहले तुमको अच्छे से ये बात समझनी है



अब गुस्ताखी तुमने की तो माफ़ नहीं हो पायेगा

बाल भी बांका ना होगा पर पाक साफ़ हो जायेगा

उरी हमले के बाद लिखी गई मेरी एक कविता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract