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Afsana Wahid writes Wahid

Tragedy

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Afsana Wahid writes Wahid

Tragedy

अजीब सन्नाटा

अजीब सन्नाटा

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चारों तरफ अजीब सा सन्नाटा छाया है

सब पर ना जाने क्यों करोना का अज़ाब आया है

बे ताल्लुक सी हो गई है-- आबोहवा

हर एक इंसान एक दूसरे से सहमा हुआ नजर आया है

कुछ तो भूख से मर रहे हैं लोग

और किसी को कोरोना  ने अपना बनाया है

ए खुदा रहम फरमा अपने बंदो पर

यह कौन सा आजाब हम पर आया है

पास आने से अब तो डरने लगे हैं लोग

ओ कोरोना तूने कैसा आहाकार मचाया है

खुदा बख्श दे हमारी जानो को अब तो

हमें अपना किया हुआ हर गुनाह याद आया है

तेरी रहमत से मायूस नहीं है हम

फिर भी हर मुश्किल में सिर्फ तू ही नजर आया है

हर एक शख्स परेशान है आज बहुत

फिर भी हर परेशानी के सबब में हमें तू ही नजर आया है

ऐ खुदा बख्श दे हमारी जानो को अब तो

हमारे ऊपर यह कौन सा आजाब आया है इस बीमारी ने हमें समझाया है

कौन अपना है और कौन पराया है

वक्त अपने उरूज पर आया है

यह कैसा हर जगह लाशों का ढेर समाया है

ए खुदा बख्श दे तू सबकी जानो को

जुबां पर सबके बस यही लफ्ज़ आया है

या अल्लाह यह तूने कैसा वक्त दिखाया है

कुछ अपनों को पराया

और कुछ परायो को अपना बनाया है

जुबां पर सब की यही सदा गूंज रही है

 या अल्लाह रहम कर इस कोरोना ने तो सारी दुनिया को हिलाया है

या अल्लाह रहम फरमा तू इन लोगों पर

जिन लोगों पर इस बीमारी का साया है

हर एक  इंसान खौफजदा है इस मंजर से

न जाने अब किस का वक्त आया है 

ना देखे कभी इतने लाशों के ढेर हमने

हर शख्स ने बस यही बताया है

अब नहीं देखा जाता यह मंजर लाशों का

हर दिल बस इसी मंजर से कररहा है

कहां गए वह खुशियों भरे दिन

हर दिल में बस यही पुकारा है।


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