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Afsana Wahid writes Wahid

Others

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Afsana Wahid writes Wahid

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मेरे पापा

मेरे पापा

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बाबा ओ बाबा

जब मैं छोटी थी तो अपनी गोद में उठाया था ना आपने

मेरा बच्चा कहकर सीने से लगाया था ना आपने

चलते-चलते ठोकर खाकर गिर गई थी तब भी उठाया था ना आपने

बाबा ओ बाबा

नन्हें- नन्हें मेरे हाथों को अपने गालों से लगाया था ना आपने

मेरे रोने पर प्यार से छुपाया था ना आपने

बाबा ओ बाबा

जब मैं रातों को उठ जाती थी और रोने लगती थी

तब थपकी देकर सुलाया था ना आपने

मेरे नन्हे कदम चलने पर अपने हाथों से पकड़ कर

धीरे-धीरे आपने आगे बढ़ाया था ना बाबा

मां तो मेरी गलतियों पर डाटती थी

मेरी गलतियों को भी प्यार से सराहा था ना

आपने बाबा. .. बाबा ओ बाबा

मेरी हर मुस्कान पर आपकी खुशियां हो जाती थी दुगनी

मेरी परी कहकर आपने मेरे कंधों पे परों को लगाया था ना

आपने बाबा ओ बाबा

जब मैं पहली बार स्कूल गई थी और रोते हुए

आपके सीने से लगी थी

आपने मुझे बहुत प्यार से गोद में उठाकर समझाया था

मेरा बच्चा रोते नहीं है बाबा ओ बाबा

अब ऐसे क्यों पराया कर दिया मुझे आपने

अपने से क्यों दूर कर दिया आपने

अब जो मैं रोऊंगी तो आंसू भी मुझे खुद ही पूछने हैं

इतना क्यों मजबूर कर दिया मुझे आपने

कौन उठाएगा अब नखरों को मेरे कौन करेगा अब

गलतियों को नजरंदाज मेरी

इतना क्यों अपना प्यार देकर बिगाड़ दिया आपने

बाबा ओ बाबा

जब याद आएगी मुझे आपकी तो आंखों से आंसू निकलेंगे मेरी

इतना क्यों अपनी मोहब्बत से नवाज दिया आपने

मेरी हर बड़ी से बड़ी गलती पर आपका वह प्यार से समझाना

हर बात का एहसास दिलाया था आपने

बाबा ओ बाबा



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