STORYMIRROR

Sneha Srivastava

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Sneha Srivastava

Abstract Tragedy Inspirational

धर्म क्या है ?

धर्म क्या है ?

2 mins
385

यूँ तो हिन्दू कुल में जन्मी हूँ

पर दरगाह पर भी चादर चढ़ाती हूँ

जाती हूँ चर्च में भी और ईशू की कृपा भी पाती हूँ

लोग जब धर्म के नाम पर लड़ते हैं, तो मैं विचलित हो जाती हूँ

उन सबसे ये सवाल पूछती हूँ की धर्म क्या है?

शिशु जब जन्म लेता है और पहला रुदन करता है

उस रुदन की आवाज़ में धर्म कैसे भाँप पाते हो

शिशु की भूख भी जो दूध मिटाता है

वो दूध हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई था

ये कौन बतलाता है।

हैं अलगाव ये समाज के सारे

ईश्वर तो बस इंसान ही बनाता है

कोई मुझे बताए की ये धर्म क्या है?

सूरज की रोशनी धर्म से नहीं बंटती

ना चाँद अपनी चाँदनी किसी धर्म विशेष पर बिखराता है

ना प्रकृति की ये हवाएँ किसी धर्म विशेष के लिए चलती हैं

ना नदियाँ किसी धर्म विशेष की प्यास बुझाती हैं

ये पेड़ -पौधों की प्राणदायनी वायु सबके लिए बराबर है

ये ईश्वर तो एक है इसे अलग-अलग कौन बतलाता है

कोई मुझे बताये की ये धर्म क्या है?

एक दूसरे से धर्म के नाम पर लड़कर रक्त तुम बहाते हो

मैं महान के फेर में जब तुच्छ से हो जाते हो।

एक दूसरे को नीचा दिखाते -दिखाते जब खुद गर्त में गिर जाते हो

मानसिकता की जंग में जब खुद को बेहतर दिखाते हो

अपने -अपने ईश्वर, खुदा, ईशू , वाहेगुरु के लिए

लड़ते लड़ते शैतान से हो जाते हो।

युद्ध जब करते हुए, खून जो बहाते हो

कौन सा खून हिन्दू और कौन सा मुस्लिम का था

ये भेद कैसे कर पाते हो

कोई मुझे बताये की ये धर्म क्या है ?


विषय का मूल्यांकन करें
लॉग इन

Similar hindi poem from Abstract