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दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)

Romance

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दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)

Romance

हृदय

हृदय

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मित्र तुम बहुत ही हो निष्ठुर

कठोर होना तेरी नियति है

तुमने अपने शरीर 


को बना दिया प्रयोगशाला,

अस्थि, मज्जा, रक्त सहित

सात धातुओं

से बने शरीर को सुपुर्द 

कर दिया भौतिकता को।


अपने शरीर के नसों

जिसमे बहती थी संवेदना

ब्लड ग्रुप के हवाले कर दिया

प्रार्थना है सिर्फ हृदय

को मेरे लिये छोड़ दो।


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