बाढ़ में
बाढ़ में
मैंने देखा है
बाढ़ में
एक ही लट्ठे पर बहते
कुत्ते बिल्ली और सांप को
बचाती डूबती हांफती मां
अपने बच्चों को
मवेशियों की पूंछ पकड़े
बहते किसानों को
और देखा है
कीचड़ में पड़े सड़े
अनाज के दानों को
धसती इमारत की नींव
के अंदर ऐंठी लाशों को
ऊपर मंडराते चील और गिद्धों को
लेकिन सबसे आश्चर्य हुआ
उसे देख
जो सबसे परे था
वह उस भीड़ का अकेला आदमी था
जो बांट रहा था राहत सामग्री
देख रहा था बड़े गौर से और गर्व से भी
बाढ़ पीड़ितों को नही
बल्कि
पत्रकारों के कैमरों को
उसे जल्दी थी
चेहरे पर शिकन थी
उसका आज का कही और
का निर्धारित कार्यक्रम था
एक
स्विमिंग पुल का उदघाटन करना था
सोच रहा था
कहाँ फंस गया बाढ़ में......
उसके साथ आयी भीड़ चली गयी
नदी अपने कटाव से गांव काटती चली गयी
शेष कल के अखबार में।