एक मोज़ू
एक मोज़ू
आओ एक मोज़ू का, आज आगाज़ करते है
खुद को कर शाह जहां, तुम्हें मुमताज़ करते है
हमें कहा हासिल ये सर्फ, के बात करे तुम्हारी
आओ मिल कर गुफ्तगू, ब अंदाज़ करते है
एक लहज़ा तुम कहो, एक लहज़ा कहूं मैं
कुछ चर्चा ए हुस्न, हमा तन आवाज़ करते है
जुल्फ दराज़ ओ निगाह ए नाज़ ओ गुल गुदाज़
बू ए अंबर ओ उद, फ़जाओं में परवाज़ करते है
खुश लिबासी व खुश बख्ती, ब अंदाज़ है 'हसन'
कुछ बाते शब ए वस्ल की, हम राज़ रखते है।