अजब कारवां गुम हुआ, एक सनम खाने पर
अजब कारवां गुम हुआ, एक सनम खाने पर
अजब कारवां गुम हुआ, एक सनम खाने पर
तमाम तर गुल पेश है, तेरे संग ए आस्ताने पर
चाक गरेबां फिरे आशिक़, यार ए कासाने पर
के जुस्तजु ए जाम ए नशा, चश्मे मयखाने पर
निगाह की बाते निगाह से करते है हुस्न ए यार
इश्क़ की बाते इश्क़ से होती है दिल ए पैमाने पर
आरज़ू ए दिल कहे,या कहे फसाना ए आशिक़ी
अजब सौज़ लिए निकलते है, शमअ खाने पर
ख्याल ओ तसव्वुर की एक ताबीर है हसीन रू
रू ब रू ख़ूब रू आते है, मेरे दिल लगाने पर
एक और दास्तां ए इश्क़, लिख दी तूने 'हसन'
हुस्न ए ख्याल ए यार ओ सनम ए बुतखाने पर।

