महंगाई
महंगाई
हाय हाय महंगाई की मार,
जीवन जीना हुआ दुश्वार,
थाली से कम हुआ है भोजन,
भूखे पेट न होता भजन,
क्या खरीदे, क्या न खरीदे,
महंगाई ये जीने न दे।
दवा न है, बस दुआ है,
जीवन दयनीय सा हुआ है,
भूख, प्यास से बिलखता बचपन,
तड़प रहा है आज तन मन,
किसी के पास न है रोटी,
किस्मत आज हुई है खोटी,
कोई तो कहीं से आये,
महंगाई को दूर भगाए,
न हो भूखे पेट फिर सोना,
हर जन के पास हो घर का कोना,
शायद सुमति कभी तो जागे,
सद् प्रयासों से कुरीति भागे।।