सत्कर्म
सत्कर्म
ईर्ष्या एक चिर व्याधि है,
जिसकी वजह से स्वच्छ मन में
मलिनता आ जाती है
और एक इंसान अपनी ही
गलतफहमियों का यंत्रचालित-पुतला
बन के रह जाता है...
वह चाहता तो बहुत कुछ है,
मगर अपने मन में जमे मैल को
धोने में ही अपनी आधी ज़िंदगी
व्यर्थ ही गुजार दिया करता है...।
आइए, हम अपने मन को
पूर्णतया साफ करें...
और इस दुनिया में
अपना सत्कर्म करते जाएँ...!!!
