देश हेतु मुट्ठियों में जान रखते हैं हमेशा
देश हेतु मुट्ठियों में जान रखते हैं हमेशा
देश हेतु मुठ्ठियों में जान रखते हैं हमेशा,
जोश में भी होश सीना ताने रखते हैं हमेशा।
भारती की आरती को काव्य रचना में बखाने,
शिल्प शब्दों में यहीं तो गान रखते हैं हमेशा।।
साँच को क्या आंच आवे, झूठ की जो जाँच होवे
हम अहिंसा के पुजारी मान रखते हैं हमेशा।
पर अगर जो पीठ पीछे घात कोई भी करें तो,
हाथ में हथियार लेकर आन रखते हैं हमेशा।।
ओज मेरा बोलता हैं, खून सबका खौलता हैं,
हम हमारे दिल में हिंदुस्तान रखते हैं हमेशा।