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Dhvani Ameta

Abstract

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Dhvani Ameta

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महंगाई

महंगाई

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किसकी पीड़ा गांव में भी, किसके गीत सुनाऊं रे।

महंगाई से त्रशित हुआ मन, फिर कैसे मैं मुस्काऊ री।

वस्तुओं के मुल्य निर्माण नहीं व्यवस्था नहीं रे,

सरकार से स्वतंत्र मूल्य निर्धारण की मांग रे।।

सबको मिलेगा उचित दाम पर माल रे,

यो कह नो ध्वनि दमंग रो रहे।

महंगाई पर नियंत्रण होगा देश में ,

गरीबी मिटेगी देश में।।

 सबको मिलेगा समान दर से माल रे,

यही सपना है देश से महंगाई भकाना रे ।।

किसकी पीड़ा गाऊ में भी, किसके गीत सुनाऊं रे।

महंगाई के मारे जन को, कैसे में समझाऊं री।

नेशनल फास्टर कमेटी का विचार रे,         

देश में उत्पादन क्षमता विकास बढ़ावा देना रे।।

मूल्य निर्धारण स्वतंत्र विभाग की मांग रे,               

संसद, राजसभा में पास कराना रे।।

भारत देश से महंगाई भगाओ रे,

यह बिल संसद पास कराओ रे।। 


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