पहली कमाई
पहली कमाई
पहली कमाई होती है कुछ खास
अद्भुत होता है उसका अहसास
पंख लगाकर हवा में उड़ता आदमी
चांद सितारों से आगे निकलता आदमी
1984 दिसंबर में प्रोफेसर बना था
इस उपलब्धि पर मैं खूब तना था
जब बाबू ने बुलाकर तनख्वाह पकड़ाई
कसम से दोस्तों, मेरी आंखें भर आई
मन कर रहा था उड़कर गांव चला जाऊं
"मेरे देवताओं" के चरणों में इसे चढ़ा आऊं
पर दूरी बहुत ज्यादा थी, अत: जा न सका
दिल के जजबात किसी को दिखा ना सका
तब आवश्यकताएं बहुत ज्यादा थीं
मगर उम्मीद की चादर तन चुकी थी
धीरे धीरे सारे सपने पूरे होते चले गये
गुलाब की तरह हम भी खिलते चले गये।
