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Sumit sinha

Tragedy

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Sumit sinha

Tragedy

दुनिया

दुनिया

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वो पूछते थे अक्सर

हाल हमारा हमसे..!

भूल गए वो मुझको

सच कहा है जबसे.!!


रखने को दिल मैं उनका

कहता था झूठ जब तक..!

हितैषी बहुत बड़े थे

 रिश्ता था हमसे तब तक.!!


था आंखों में मेरे पानी

जब तक बात उनकी मानी..!

इक बात जो अपनी कही दी

बन गया हूं मैं अभिमानी.!!


 बिन मांगे सलाह दे कर

 एहसान वो जताते..!

 मांगी मदद जब उनसे

 फिरते थे मुंह छुपाते.!!


निकाला था घर से उस दिन

था हाथों में मेरे शीशा.!!

चौराहे पर उन्हें दिखाया

था हमशक्ल उन्हीं सा.!!


 तब से बहक गया हूं

 संस्कार खो गया है..!

 अच्छा था जितना पहले

उतना बिगड़ गया हूं.!!


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