आशिक़ी
आशिक़ी
मिली हर खुशी है तेरी आशिक़ी में,
न अब कोई चाहत रही जिन्दगी में !
कभी दर बदर मैं भटकता रहा था,
अभी खो गया हूं तेरी बंदगी में !
मुहब्बत मुझे ना मिली जब तलक थी,
अजब ही तड़प थी तेरी तिश्नगी में !
पता ही नहीं था असर आशिक़ी का,
लुटाया सभी कुछ तेरी दिल्लगी में !
सुना जो रहा हूं सुनो बात मेरी,
खुदा का करम है यहां आशिक़ी में !