कभी हो गुलज़ार कभी राहों के ख़ार कभी हो गुलज़ार कभी राहों के ख़ार
गुलों पे उतरती है ग़ज़ल रात भर अर्श से जावेद तुमको ही शबज़ाद होना नहीं आता गुलों पे उतरती है ग़ज़ल रात भर अर्श से जावेद तुमको ही शबज़ाद होना नहीं आता
कल तक तुम्हारे आने से रहती थी बगिया गुलज़ार, आज कलियों की तरह महकती भी नहीं... कल तक तुम्हारे आने से रहती थी बगिया गुलज़ार, आज कलियों की तरह महकती भी न...
मुरझाते फूल को हँसते देखा और तनहा पंछी को गाते सुना... मुरझाते फूल को हँसते देखा और तनहा पंछी को गाते सुना...
मिले तो गुलज़ार, ना मिले तो बेज़ार मिले तो गुलज़ार, ना मिले तो बेज़ार
इश्क़ था गुलज़ार मेरा, दर्द इसमें अभी कम था। जब टूटा दिल मेरा तो ज़ख्म उसका मुझसे कम इश्क़ था गुलज़ार मेरा, दर्द इसमें अभी कम था। जब टूटा दिल मेरा तो ज़ख्म ...