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Lokesh Gulyani

Abstract Fantasy

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Lokesh Gulyani

Abstract Fantasy

सरक कर बैठो ज़रा

सरक कर बैठो ज़रा

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सरक कर बैठो ज़रा, मयखाने में जगह कम है।         

तुम ही नहीं हमप्याला, ग़म-लबरेज़ दिल कहाँ कम है।।

डूबने लगे दिल, तो लगा बैठो आवाज़ साक़ी को।

पता लग जाए सबको, यहाँ हम है हम है हम है।।


ना रात का इंतज़ार, ना दिन से शर्मो गुरेज़।

शै: ऐसी क्या है, जितनी मिले कम है ।।


खून में दौड़े क़तरा क़तरा रुमानियत का।

शाम होने को है, और बेक़रार हम है।।


मिले तो गुलज़ार, ना मिले तो बेज़ार।

हालत हमारी पीर-फ़कीर से क्या कम है ।।


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