अपनी सोच
अपनी सोच


सोच को अपनी ले जाओ शिखर तक
की उसके आगे सितारे भी झुक जाये
न बनाओ अपने को किसी का मोहताज,
चलो इस शान से तूफ़ां भी झुक जाये
ये लोग मदद कम, टांग ज्यादा खींचते है
पैर रखो ऐसे की ये ज़मीन हिल जाये
सादगी अपनी, लोगो को बेवकूफ़ी लगती,
पागल हो इस कदर, लोग दंग रह जाये
सोच को अपनी ले जाओ शिखर तक,
की उसके आगे सितारे भी झुक जाये
अपनी सरलता को अपना हथियार बना
अपनी हार को विजय की ज़मीन बना
हार हो तेरी तो साखी इस क़दर की,
पत्थरों से टकरा हार भी झरना बन जाये