प्रेम की राह की ओर
प्रेम की राह की ओर
यह जाता जाता
मौसम
कुछ कहता है
कोई आने वाला है
यह कहता है
तू सज धज के रहना
तैयार
एक सांझ के ढलते सूरज सी
नहीं
एक रात के चांद की
चांदनी सी रहना
करके सोलह श्रृंगार
रात में
चांद के रथ पे सवार
उतरेगा कोई
ख्वाबों सा सुंदर राजकुमार
तू उड़ जाना
उसके संग
किसी परियों के लोक
यहां इस लोक में
रह जायेंगी
तेरी प्रेम भरी श्वासें
प्रेम भरे नगमे
प्रेम के बीते कुछ पलों की
स्मृतियां बनाती खुशबुएँ और
प्रेम की राह की ओर
बढ़ते तेरे मिटते हुए
प्रेम के पद चिन्ह।