Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shilpi Goel

Abstract Tragedy

4  

Shilpi Goel

Abstract Tragedy

बदल गए..............

बदल गए..............

1 min
252


बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।

छोड़ गए मझधार में, बेनाम कश्ती की तरह।।

कितनी ख्वाब देखे थे तुम संग

सब अधूरे ही रह गए,

किये थे वादे जो तुमने कभी

सब बेमानी हो बह गए,

जाने क्या खता हुई मुझसे

हम-तुम अजनबी बन रह गए,

बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।

छोड़ गए मझधार में, बेनाम कश्ती की तरह।।

शायद किसी गलतफहमी ने हमारे रिश्ते में जगह बनाई,

इसलिए ही इस रिश्ते की टूटने की आज यूँ नौबत आई,

याद तो आज भी आती है लेकिन

मुस्कान की जगह आँसू दे जाती है,

तोड़कर दिल मेरा जाने तुमको कैसे

रातों को सुकून की नींद आती है,

बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।

छोड़ गए मझधार में, बेनाम कश्ती की तरह।।

जानती हूँ अब कभी मुलाकात ना होगी हमारी,

इसलिए दुआओं को ही देती हूँ मैं यह जिम्मेदारी,

तेरे-मरे साथ की लिख दूँ अब मैं अंतिम कहानी,

भुलाकर वो सुहाने पल, जीवन को दूँ नई रवानी,

बदल गए बताया नहीं, मौसम की तरह।

छोड़ गए मझधार में, बेनाम कश्ती की तरह।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract