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Sonam Kewat

Tragedy

4  

Sonam Kewat

Tragedy

इंसानियत

इंसानियत

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अब तो भगवान भी सोचता है कि 

मैंने क्यों दुनिया को तबाह किया 

आखिर इंसान को बनाकर 

मैने यह क्या गुनाह किया 


इससे अच्छा तो जानवर ही है

कम से कम सुख शांति से रहते हैं 

जिंदगी उनकी सुकून भरी हैं

वो भले कुछ भी नहीं कहते हैं


सृष्टि का संतुलन बना था 

कोई शिकार तो शिकारी था 

वक्त का दौर ऐसा भी था कि 

खुश यहां साधू और भिखारी था


नर्क सी जिंदगी है कभी हत्या 

तो कभी बलात्कार होता है 

सब कुछ पा लेता है ये इंसान

फिर भी जाने क्यों हमेशा रोता है 


अब यहां इंसानियत नहीं बची

इंसान कुछ कहने लायक नहीं है 

इनसे अच्छे तो ये जानवर हैं 

वो इतने भी नालायक नहीं है


अरे जन्म मिला इंसान का तो

इंसानियत की पहचान बना लो

काम आए जिंदगी जाने के बाद

ऐसा कुछ तो नाम कमा लो.


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