दिल का दरिया
दिल का दरिया
दिल का दरिया
अब भर गया
आंखों के सामने से
प्रीत का बादल
अब छंट गया
बंद कमरे की बंद तिजोरी में
जो दबा था राज
अब खुल गया
सदियों से
रुका था जो
आंख में आंसू
एक समुन्दर बनकर
बह गया
इस राह में
हर कदम पर
मोड़ हैं
यह न जाने
कहां जाकर
ठहरेगी
मौत की मंजिल
पर जिन्दगी मिली
मौत का सामान
यूं तो
सारी उम्र
खरीदते खरीदते
मेरे मन का मकान
भर गया।