कभी लज्जा की गठरी कभी चौके की मठरी कभी गले का हार कभी वेश्या बन व्यापार कभी लज्जा की गठरी कभी चौके की मठरी कभी गले का हार कभी वेश्या बन व्यापार
माहिर हैं वो लोग सूरत बदलने में माहिर हैं वो लोग तक़दीर बदलने में । माहिर हैं वो लोग सूरत बदलने में माहिर हैं वो लोग तक़दीर बदलने में ।
वो समझती है नदी को किसी वैश्या के आंसू! वो समझती है नदी को किसी वैश्या के आंसू!
आज कोठे से फिर एक अर्थी उठी थी। आज कोठे से फिर एक अर्थी उठी थी।
दिल के ज़ख्म दिखलाओगे किसे अब ज़ख्मों पर और भी नमक छिड़क जाते है लोग दिल के ज़ख्म दिखलाओगे किसे अब ज़ख्मों पर और भी नमक छिड़क जाते है लोग