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V. Aaradhyaa

Tragedy

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V. Aaradhyaa

Tragedy

अभागिन

अभागिन

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"रानीबाईजी ई इमरतिया के श्रृंगार कइना है का?"

अंतिम संस्कार से पहले जिलेबिया ने रातरानी से पूछा तो रातरानी बोली,

"कहिने को इ अभागिन सुहागिन रहिस।पन,उ का खसम ही बेच गयो कोठा पर।उ का बाद तो ऐसेई जिनगी चली ई दुःखियारी के कि साज श्रृंगार की तो कौनो कमी नाहीं।हम बेस्या लोगन के तो श्रृंगार कईके अर्थी सजाई जाई।बस सिंदूर मत लगइयो।घर और सिंदूर हमरी किस्मत में नहीं!"

बोलकर रातरानी अपने झिलमिल सितारोंवालीसाड़ी के आँचल से अपने आँसू पोंछने लगी।आज कोठे से फिर एक अर्थी उठी थी,एक घर की ख्वाहिश की।



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