हम बदलेंगे
हम बदलेंगे
धर्म का झंडा उठाते हो तुम
जाती के नाम पे लड़ते-झगड़ते हो तुम
भूख से तड़प कर मरते हो तुम
खेतो में अपना खून बहाते हो तुम
उम्र भर क़र्ज़ में डूबे रहते हो तुम
फांसी के फंदे से झूलते हो तुम
सड़क पर भीख मांगते हो तुम
अधनंगे पागल बन सड़को पर
घूमते फिरते हो तुम
तुम्हारी बहु-बेटियों
की इज़्ज़तें लूटी जाती हैं
भेजी जाती हैं तुम्हारी बहु- बेटियाँ
बड़े-बड़े महलों में
खेलते हैं उनके जिस्मों से
बड़े-बड़े लोग
फिर भेज दी जाती हैं
देश-विदेश के वैश्याखानों में
जहाँ उनके जिस्मों से खेलते हैं
आदमी के रूप में
आदमखोर जानवर
नोचते हैं उनके जिस्मों
को अपने नाखूनों से
काटते हैं उनके जिस्मों
को अपने दांतों से
मारते हैं लातों से
उनके गुप्तांगों पर फिर
यही नोचने लूटने वाले लोग
बन जाते हैं सभ्य समाज के
और सम्बोधित करते हैं
तुम्हारी बहु-बेटियों को
रंडी , वैश्या कह कर
उन्हें लज़्ज़ा तक नहीं आती
उन्हें अपने आप पर घिन तक नहीं आती
उनके लिए क़ानून कुछ भी नहीं है
अदालतें उन्हें बचाने के लिए लगाई जाती हैं
वो शान से घूमते हैं
बड़े-बड़े गाड़ियों में
बड़े-बड़े लोगों के
बीच उठते-बैठते हैं
और तो और
चुराए जाते हैं तुम्हारे
बच्चे अस्पतालों से
तुम्हारे घरों से
काट दिया जाता है उनके अंगों को
उनके उँगलियों को
हाथों को , पैरों को
फोड़ दी जाती हैं उनकी आँखें
काट दिए जाते हैं उनके जुबाँ
फिर बैठा दिया जाता है उन्हें
धर्मस्थलों के बाहर
मंदिरों के बाहर, मस्जिदों के बाहर
कभी पगडंडियों पर
कभी बीच सड़क पर
रख दिया जाता है
उनके सामने एक कटोरा
जिसमे डालते हैं आते जाते लोग पैसे
जिसे हम कहते हैं भीख !
कभी तुमने भी डाला होगा
लेकिन अपने बच्चों को नहीं पहचाना होगा
माहिर हैं वो लोग सूरत बदलने में
माहिर हैं वो लोग तक़दीर बदलने में
वो सब कुछ बदलना जानते हैं
तुम्हें इस्तेमाल कर पैसा बनाना जानते हैं
उनके लिए पैसा हीं सिर्फ पैसा नहीं है
उनके लिए आदमी भी पैसा है
गरीब भी पैसा है
मज़दूर भी पैसा है
जो आदमी को पैसा का
जरिया समझते हैं
तुम उन्हें अपना मसीहा समझते हो !
ऐ ! मेरे लोगों
पीढ़ियां बीत गई
जाने कितने लोग मारे गए
जाने कितने हम गरीब की
बहु-बेटियां रंडियाँ बनाईं गईं
जाने हमारे कितने बच्चों को
आग में डाल दिया गया
कब तक हम ये जुल्म सहते रहेंगे ?
कब तक हम आपस में लड़ते रहेंगे ?
हमें अब एक होना होगा
हमें अपने बच्चों को
बहु-बेटियों को बचाना होगा
हमें अपना तक़दीर खुद बदलना होगा
हमें इस सड़े हुए समाज को बदलना होगा
हमें इस व्यवस्था को बदलना होगा
इसके लिए हमें एक होना होगा
हमें एक होकर लड़ना होगा
हम लड़ेंगे
हम बदलेंगे
हम जीतेंगे !
