तुम पर्वत से अड़े रहे अपने झूठे अभिमान में और मैं हवा सी कोमल उड़ती रही आसमान में तुम पर्वत से अड़े रहे अपने झूठे अभिमान में और मैं हवा सी कोमल उड़ती...