खुशियों में अपने आग लगाई नशा नाश की जड़ है भाई। खुशियों में अपने आग लगाई नशा नाश की जड़ है भाई।
फिर एक ख्याल और आया जेहन में तब क्या मेरी अपनी पहचान होती फिर एक ख्याल और आया जेहन में तब क्या मेरी अपनी पहचान होती