झूठ का पर्वत अब पिघल रहा है। झूठ का पर्वत अब पिघल रहा है।
आफताब, चाँद होकर रोशनी बिखेरती फनकारों को जन्नत का रास्ता दिखाती आफताब, चाँद होकर रोशनी बिखेरती फनकारों को जन्नत का रास्ता दिखाती
उठा कर हाथ तुम औरत पे आखिर क्या दिखाते हो ? उठा कर हाथ तुम औरत पे आखिर क्या दिखाते हो ?
इलाके से जब गुज़रे तो पता चला की अपना घर ही गुम है! इलाके से जब गुज़रे तो पता चला की अपना घर ही गुम है!
उन यादों को मन कभी ना भूल पाएगा ताउम्र यादों को जेहन में लेकर चलता जाएगा। उन यादों को मन कभी ना भूल पाएगा ताउम्र यादों को जेहन में लेकर चलता जाएगा।
किताबों की तरह बहुत से अल्फाज हैं मुझमें..... और किताबों की तरह ही खामोश रहता हूँ मैं. किताबों की तरह बहुत से अल्फाज हैं मुझमें..... और किताबों की तरह ही खामोश रहता...