इश्क हिन्दी और उर्दू का
इश्क हिन्दी और उर्दू का
हिन्दी उर्दू बहनों का इश्क
इतना है अकबर
इक के न होने पर
अंजुमन होता दरबदर
लफ्जों का मिलन
कुछ इस तरह हुआ
दूरियाँ मिटी
दिल इक दूसरे का हुआ
अक्स एक का
दूसरे में देता दिखाई
एक सोती तो
दूसरे को आती अंगड़ाई
बड़ी बेटी संस्कृत ने
यह तजुर्बा दिया
सब भाषा की
अगलात को पकीजा किया
हर किसी के तसव्वुर,
जेहन में दोनों रहती
आफताब, चाँद होकर
रोशनी बिखेरती
फनकारों को
जन्नत का रास्ता दिखाती
"निशा"नाजिश,इरफान से
रहना सिखाती।
