जज़्बात
जज़्बात
पिया मिलन की बेला है
बरसातों का मेला है
तन मन में शोले भड़काए
रिमझिम बूंदों का रेला है!
दीदार पिया का हो जाये
इस दिल की बस ये ख़्वाहिश है
पहलू में उनके दिन गुज़रे
आग़ोश में उनकी हों हर शब!
तुम आ जाओ तो चैन मिले
दिल की धड़कन कुछ थम जाए
कर लो आलिंगन बद्ध मुझे
कि ये दिल बेताब संभल जाए!

