हमने देखा है उन्हें
हमने देखा है उन्हें
अक्सर !
कुछ याद करके,
दबे होंठों से
मंद-मंद मुस्काते हुए,
बारिशों की आड़ में गम के
आँसू बहाते हुए,
अक्सर !
छत पर,रात के साए में
चाँद से बतियाते हुए,
बैचेनियों से छटपटाकर
कमरे के चक्कर लगाते हुए,
अक्सर !
किनारे बैठकर झील की
गहराईयों से दर्द अपना
आँकते हुए,
*पक्षियों के प्रेमी-जोडों को
अपलक ताकते हुए,
अक्सर !
जुगनुओं के संग जुदाई के
गीत गुनगुनाते हुए,
तोड़कर पत्ती-पत्ती फूल की
लव मी-लव मी नाट् दोहराते
हुए,
अक्सर !
उनको हमारे प्रेम-प्रतीक
स्थानों पर आते-जाते हुए,
देवालयों में दुआ में सर
झुकाते हुए,
अक्सर !
रह जाते हम भी खुद को ये
समझाते हुए,के
करते है वो शायद,आज
भी मोहब्बत हमसे, ये
यकीन, खुद को दिलाते हुए।