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Vivek Madhukar

Abstract Romance Inspirational

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Vivek Madhukar

Abstract Romance Inspirational

प्रेम और आसक्ति

प्रेम और आसक्ति

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प्रेम वह पवित्र सरोवर है

जिसके जल में नहाकर

मन का मैल धुल जाता है

सारी गन्दगी बह जाती है

उसके बहाव से


इसलिए

किसी को चाहना बुरा नहीं

किसी के प्यार में

डूबना बुरा नहीं


बुरी तो है आसक्ति

मन की नहीं, तन की

जन की नहीं, धन की

आसक्ति छोड़ो, प्रेम करो।


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