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Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

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Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

चले आओ

चले आओ

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निशान पांव के अब भी ढूंढता कोई !

कि तुम लौट आओ !


पीले फूलों की बारात तैयार खड़ी, 

हवा छू कर कानों में  कुछ बोल रही.!

चुपके से, सब से छुपा कर !

वो बोल सिर्फ तुम्हे बताना चाहता हूँ, 

बस चले आओ !


रूठ कर तो जाते न थे कभी !

पलट कर करते हुए ठिठोली 

चले गए, मुड़ कर देखे बगैर !

रूठ जाने की वजह तो बताओ !

बस एक बार चले आओ !


वो झूला उदास सा, झुलाता है अब भी, 

गाहे बगाहे आवाज़ भी कर देता !

पर चहक खो गयी उसकी, 

खिलखिला देगा फिर से, 

एक बार झूल जाओ !

नाराज़गी उतार फेंक, 

बस चले आओ !


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