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Smita Singh

Romance

4  

Smita Singh

Romance

बरसात

बरसात

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दूर तक आखों मे बादलो का साया है ,

आज मुझे तेरे ख्यालो की, बरसात ने भिगाया है।


पैर फिसल से रहे है यादो की मिट्टी से,

खुशबु बिखर सी गयी है,भीगी हुई चिट्ठी से।


दिल की मिल्कियत मे आज नमी सी है,

इस इंद्रधनुष सी जिंदगी मे,अहसासो की कमी है।


सावन तेरी यादो का ,भिगाये बिना नहीं जाता 

उफ्फ,तेरी बेरुखी सा बरसना ऐ हमनवा

,सावन की बरसात को भी नहीं आता।



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