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Swapna Sadhankar

Romance

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Swapna Sadhankar

Romance

एक तुम और एक वो

एक तुम और एक वो

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एक तुम हो और एक वो हैं

ये हम किस मोड़ पर खड़े हैं............


तुम हमसफ़र हो

पर तनहा नज़रें मिलने को तरसती हैं

और उसकी इक नज़र

साथ ना होना भी होना कर जाती हैं

ये हम किस मोड़ पर आ खड़े हैं.......


तुम कई वादों से जुड़े हो

फिर भी यक़ीन जुटाना बाकी हैं

और उसकी वफ़ा का यक़ीन

सारे वादोंसे परे हो जाता हैं

ये हम किस मोड़ पर आ खड़े हैं.......


तुम क़ाबिले तारीफ़ हो

मगर ख़ूबी की दवा बेअसर करती हैं

और उसकी दिलकश कशिश

दर्द पर मरहम का काम कर जाती हैं

ये हम किस मोड़ पर आ खड़े हैं.......


तुम ज़रिया ए बहार हो

फिर भी ख़ुशी खिलने से मोहताज़ हैं

और उसके बदलते मौसम

राहत का एहसास दे जाते हैं

ये हम किस मोड़ पर आ खड़े हैं.......


तुम बेशक सीख की मिसाल हो

पर मंज़िलें गुमनाम क्यों लगती हैं

और उसके अनजान रास्ते

कुछ सीखने का सुकून दे जाते हैं

ये हम किस मोड़ पर आ खड़े हैं.......


तुम हक़ीक़त में हो

तो सपनों से दूर भागना मज़बूरी बनती हैं

और तुम सपनों में बसे

तो सच्चाई से लढ़ने की ताक़त आती हैं

ये हम किस मोड़ पर आ खड़े हैं.......


एक तुम हो

तो हम हम हैं

और एक वो हैं

तो हम में हम हैं

ये हम किस मोड़ पर खड़े हैं

एक तुम हो और एक वो हैं.......


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