तेरा साथ
तेरा साथ
आज हवा कुछ शीतल,
शोख और चंचल है,
उनके आने की आहट से ,
दिल में हलचल है,
उन्हें देखकर भोर की किरण,
जब मुस्कुराती,
लगता जैसे छू गया,
उसका वो नर्म आंचल है,
भीगा- भीगा सा मौसम ,
सुहानी वो शाम थी,
तेरे मेरे प्यार की वो तो ,
पहली मुलाकात थी,
आज नजरों के तीर हो रहे ,
दिल के आर-पार,
तुम्हें देख हम सब भूल गए,
सुरमई वो शाम थी,
प्रीत के एहसास की,
अनोखी सी छुअन छ
ू गई,
सरसराती हवाएँ कानों में,
हमसे कुछ कह गई,
उनके प्यार से दिल का ,
ये गुलशन खिल गया,
अब लगता जैसे ,
बरसों की तलाश पूरी हो गईI
देखने की आरजू ,
ना हो कोई तेरे सिवा,
बस मेरी आंखों को ,
दीदार तेरा चाहिए,
इस रिश्ते के सरोवर में,
प्रेम पुष्प खिलते,
उन पुष्पों संग,
मुझे सहयोग तेरा चाहिए,
इन आशाओं के नगर में ,
एक घर बसा है,
इस घर में बस,
अब मुझे साथ तेरा चाहिएI