STORYMIRROR

सोनी गुप्ता

Romance

4  

सोनी गुप्ता

Romance

तेरा साथ

तेरा साथ

1 min
454

आज हवा कुछ शीतल, 

शोख और चंचल है, 

उनके आने की आहट से ,


 दिल में हलचल है, 

उन्हें देखकर भोर की किरण, 

जब मुस्कुराती, 

लगता जैसे छू गया, 

उसका वो नर्म आंचल है, 


भीगा- भीगा सा मौसम ,

सुहानी वो शाम थी, 

तेरे मेरे प्यार की वो तो ,

पहली मुलाकात थी,


आज नजरों के तीर हो रहे ,

दिल के आर-पार, 

तुम्हें देख हम सब भूल गए, 

सुरमई वो शाम थी, 


प्रीत के एहसास की, 

अनोखी सी छुअन छू गई, 

सरसराती हवाएँ कानों में, 

हमसे कुछ कह गई, 


उनके प्यार से दिल का ,

ये गुलशन खिल गया, 

अब लगता जैसे ,

बरसों की तलाश पूरी हो गईI


देखने की आरजू ,

ना हो कोई तेरे सिवा,

बस मेरी आंखों को ,

दीदार तेरा चाहिए, 


इस रिश्ते के सरोवर में, 

प्रेम पुष्प खिलते, 

उन पुष्पों संग, 

मुझे सहयोग तेरा चाहिए, 


इन आशाओं के नगर में ,

एक घर बसा है, 

इस घर में बस, 

अब मुझे साथ तेरा चाहिएI


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance