तुम ही तुम
तुम ही तुम
शाम-ओ-सहर तुम्हारे
ख़्यालों में गुम
ज़ेहन मची तुम्हारे
अरमानों की धूम
रग-रग को इंतज़ार
तुम्हारी चाहत का ही
मचलते दिल की ख़्वाहिश
बन गए हो तुम
दिन मशगूल तुम्हारे
तसव्वुर संग घूम
रातें मदहोश तुम्हारे
ख़्वाबों संग झूम
लम्हा-लम्हा मोहताज
तुम्हारे दीदार का ही
दीवाने दिल का मुक़ाम
बन गए हो तुम
हँसी की परछाँई में
आँसू की छाप में तुम
नाराज़गी का इलाज
ख़ुशी की वजह तुम
धड़कन-धड़कन पे नाम
तुम्हारे अहसास का ही
कर्ज़दार साँसों की जिंदगी
बन गए हो तुम
मेरे सवालों का जवाब
इरादों का वज़ूद तुम
मेरी तसल्ली की तसवीर
मुसाफ़िरी की मंज़िल तुम
माथे को चूमना तुम्हारा
मेरे हर दर्द की दवाई
जाने ये क्या हश्र करके
मेरा अहम बन गए हो तुम।