हमारे दरमियाँ
हमारे दरमियाँ
हमारे दरमियाँ ये जो फ़ासले हैं
आओ कर दें ख़त्म इन फ़ासले को
कभी तुम नज़रंदाज़ कर देना
तो कभी हम अनदेखा कर देंगें
कभी जो रूठे तुम तो हम मना लेंगे
नाराज हम अगर हों तो तुम मना लेना
न तुम कभी दूर जाना न हम दूर जाएंगे
अपने अपने हिस्से का प्यार हम निभाएंगे।

