हे कविता में कविवर
हे कविता में कविवर
हे कविता मैं कविवर,
हमारा नाता दिल का दिलबर।
तुझ को लिखकर मैं आनंदित हो जाऊँ,
तेरे साथ मिलकर मै खुद खो जाऊँ।
तेरे साथ रहना मुझे कबुल है,
क्या ए शर्त तुझे भी मंजुर है।
"संकेत "तुझे छू ने को मन करता,
तुझे लिखकर ही जी भरता।
हे कविता में कविवर।