विद्यालय आज रोने लगी
विद्यालय आज रोने लगी
दू:ख से भरी कहानी बनी ,
विद्यालय आज रोने लगी।
अधूरी योग्यता वाले खिलाड़ी
आए मेरे मंदिर परिसर मे,
तब से मै कुछ खोने लगी।
विद्यालय आज रोने लगी।
मेरे मासूम कोमल बच्चो को,
ए गडबडी राह किसने सिखाई,
विद्यालय आज रोने लगी।
पद पर बैठै प्रधान के हाथ बंधे,
पैसे के लिए सारी प्रयुक्तीया बनी,
विद्यालय आज रोने लगी।
"संकेत " हे समझदार आप चालाक मत बनो,
मैंने भी विद्या की बांधी गठरी,
विद्यालय आज रोने लगी।
