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Kavi dr. Mala "sanket"

Children

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Kavi dr. Mala "sanket"

Children

विद्यालय आज रोने लगी

विद्यालय आज रोने लगी

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दू:ख से भरी कहानी बनी ,

विद्यालय आज रोने लगी।

अधूरी योग्यता वाले खिलाड़ी  

आए मेरे मंदिर परिसर मे,

तब से मै कुछ खोने लगी।


विद्यालय आज रोने लगी।

मेरे मासूम कोमल बच्चो को,

ए गडबडी राह किसने सिखाई, 

विद्यालय आज रोने लगी।


पद पर बैठै प्रधान के हाथ बंधे,

पैसे के लिए सारी प्रयुक्तीया बनी,

विद्यालय आज रोने लगी।

"संकेत " हे समझदार आप चालाक मत बनो,


मैंने भी विद्या की बांधी गठरी,

विद्यालय आज रोने लगी।


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