लाया जी मैं अमरूद (बाल कविता).
लाया जी मैं अमरूद (बाल कविता).
ठेला भर के मैं लाया जी
हरे पीले मीठे अमरूद
इनमें लगाकर सेंधा नमक
सर्दियों में तुम खाओ खूब।
छोटे पेड़ों पर है लगता
सुंदर रूप गोल मटोल
पके अमरूद की बात निराली
नहीं है इसका कोई मोल।।
चाकू का कोई काम नहीं
सीधे इसको खा सकते हो
कट कट बीज सुहाते इसके
खाकर इसे पचा सकते हो।
जाड़ों में बहार है इसकी
सबके मन को भाता है
कूट कूट कर आयरन इसमें
खून को खूब बढ़ाता है ।।
आंखों की रौशनी बढ़ाए
पाचन को है बेहतर करता
रोग प्रतिरोधक की क्षमता इसमें
हड्डियां को भी मजबूत करता।
कच्चा पक्का तुम खाओ
स्वाद गजब है भई इसका
दीवाने इसके हैं सभी
क्या बड़ा क्या बच्चा.....।।