नटखट काला बादल(बाल कविता)
नटखट काला बादल(बाल कविता)
आसमान में उड़ता बादल
है काला काला गोल-मटोल
हर किसी पर धौंस जमाएं
कहता सबको रूखे बोल।
पेड़ों से कहे "झूमो-झूमो,"
नदियों से कहे "बह जाओ"
सूरज को बोले छुपों बादल में
सबको चमक से तंग कर जाओ।
बच्चों ने देखा शोर मचाया
देखो काला बादल आया,
कभी वो गरजा कभी वो भागा
सबको हंसकर खूब लुभाया।
बादल बोला पहले मज़ा करूँगा
फिर धूप कभी बारिश दूंगा,
जैसें गरजकर बिजली चमकेगी
फिर आसमान काला कर दूंगा।
हंस पड़े सब बच्चे सारे
कभी भीगे, कभी उछले,
ओ नटखट बादल कितने प्यारे
बादल संग सपने भी बदले।
फिर बादल ने कहा मुस्कराकर
खुश रहो बस यही है सपना,
खेलो, खाओ, साथ निभाओ
यही तो है बस जीवन अपना।
