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संजय असवाल "नूतन"

Drama Fantasy Children

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संजय असवाल "नूतन"

Drama Fantasy Children

बिल्ली मौसी.(बाल कविता).

बिल्ली मौसी.(बाल कविता).

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बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी 

कहां गई थी इतने दिन

सारे चूहे बेखौफ हो गए 

यहां उद्धम मचाए तुझ बिन।

बिल्ली बोली जा पहुंची मैं

घूमने अकेले दिल्ली,

चांदनी चौक के चूहों ने मुझे 

देख खूब उड़ाई मेरी खिल्ली।

देख जग हंसाई मेरा दिल 

फूल सा मुरझाया,

नहीं सम्मान यहां दूसरों के 

यह बात समझ में आया।

आओ हम सब मिलजुल कर

अब साथ हमेशा खेले,

हो विपत्ति अगर किसी पर

साथ ही मिलकर सब झेले।

चूहे बोले बिल्ली मौसी

हां बात तेरी एकदम सच्ची..!

पर तुझ से फिर भी दूर रहेंगे

तू दूर ही लगती अच्छी।

सुन कर बिल्ली मौसी ने फिर

चूहों के पीछे दौड़ लगाई,

बिल में घुसकर चूहों को तब

मौसी की नियत समझ आई।


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