मेरी दीवानगी
मेरी दीवानगी
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मोहब्बत हो तुम मेरी अब, चाहत भी मेरी तुम
हसरत मेरी हो तुम अब, मेरी दीवानगी हो तुम
आँखों का सुरूर हो तुम, बातों में गुरूर हो तुम
दिल का फ़ितूर हो तुम, परवानगी भी हो तुम
तुमसे ही हो रही है, किस्मत बुलन्द हमारी
बसी हुई है कब से, दिल में भी मूरत तुम्हारी
तेरे इश्क़ में हुआ है, ये दिल इतना बेबस मेरा
कर जाता है ये वो भी, जो न करना होता इसको
किस तरह बताऊँ तुमको, करती हूँ प्यार कितना
धरती से आसमान तक, ये जहाँ बसा है जितना।