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Shraddhaben Kantilal Parmar

Romance

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Shraddhaben Kantilal Parmar

Romance

अनसुनी मोहब्बत

अनसुनी मोहब्बत

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क्या सुनाएं बेशुमार इश्क़ की दास्तान

जो सुनकर अनसुनी हो गई वो मोहब्बत तेरी

हंसी से बयां होकर आंसू के जरिए लिपट गई

क्या सुनाएं अनसुनी मोहब्बत की दास्तान

जो गूंज उठी थी हंसी

आज बेजान बन भटक रही है।

तेरी मोहब्बत पाने को आज

बेजुबान पत्थर के सामने रोज सर झुका रही है।

कितनी लेगा प्यार की परीक्षा

बस भी कर है खुदा 

अब तो प्यार से उसके प्यार से मिला दे

और कितना तड़पाएगा दो प्यार भरे दिलों को

इश्क़ तो तुझे भी कभी हुआ होगा।

क्यों नही मिलवाता दो दिलों को

इश्क़ जाहिर तूने भी तो किया होगा।

मत तड़पा मोहब्बत भरे आशिको

अब दिल को दिल से मिलवा भी दे।



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