बचपन
बचपन
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मैं तितली बन उड़ना चाहूं
आसमान को छूना चाहूं।
सितारों के जैसे चमकना चाहूं
में तितली बन उड़ना चाहूं ।
बगिया में गुनगुनाना चाहूं
पठाई का बोझ न उठाना चाहूं
बंदिशों में न बंधना चाहूं।
में तो तितली बन आज़ादी से उड़ना चाहूं
पंख फैलाकर घूमना चाहूं।
