STORYMIRROR

Shraddhaben Kantilal Parmar

Children Stories

3  

Shraddhaben Kantilal Parmar

Children Stories

बचपन

बचपन

1 min
158


मैं तितली बन उड़ना चाहूं

आसमान को छूना चाहूं।

सितारों के जैसे चमकना चाहूं

में तितली बन उड़ना चाहूं ।

बगिया में गुनगुनाना चाहूं

पठाई का बोझ न उठाना चाहूं

बंदिशों में न बंधना चाहूं।

में तो तितली बन आज़ादी से उड़ना चाहूं

पंख फैलाकर घूमना चाहूं।


Rate this content
Log in