Shraddhaben Kantilal Parmar
Action Thriller
कलम की रफ़्तार बढ़ती जा रही है
हाले दिल का हाल बयां करती जा रही है।
कभी मुस्कान तो कहीं आंसू लिखती है
बिताया हुआ हर लम्हा याद करती जा रही है।
ए मेरे कलम की रफ़्तार बढ़ती जा रही है
मेरे जीने की वजह लिखती है।
हिन्दी दिवस
मेरी मिट्टी म...
वंदे मातरम्
वतन
कलम की रफ़्ता...
तेरी यादों की...
मुस्कुराने की...
बचपन
बारिश
कभी गम तो कभी खुशियों का बौछार होता है, यूं ही लोग प्यार के काबिल नहीं होते। कभी गम तो कभी खुशियों का बौछार होता है, यूं ही लोग प्यार के काबिल नहीं होते।
मगर हमारा प्रयास यह रहे कि, हमसे मिलकर कोई दुखी न हो। मगर हमारा प्रयास यह रहे कि, हमसे मिलकर कोई दुखी न हो।
संग कोटि कोटि नमन है, नतमस्तक हैं देशवासियो का, लख लख अभिनंदन हैं। संग कोटि कोटि नमन है, नतमस्तक हैं देशवासियो का, लख लख अभिनंदन हैं।
स्याह है जिंदगी फिर भी गरुर इतना है, मालूम है जिंदगी में कब कहां कैसे रुकना है। स्याह है जिंदगी फिर भी गरुर इतना है, मालूम है जिंदगी में कब कहां कैसे रुकना ह...
बस प्रेम सुधा रस बरसाते चले, सबको अपना बनाते चले।। बस प्रेम सुधा रस बरसाते चले, सबको अपना बनाते चले।।
तनिक जरा उनकी बात सुने, कुछ उनकी भी पीड़ा को, आज कुछ तो कम करें।। तनिक जरा उनकी बात सुने, कुछ उनकी भी पीड़ा को, आज कुछ तो कम करें।।
पर परतंत्रता की बेड़ी पूर्णतया अस्वीकार है पर परतंत्रता की बेड़ी पूर्णतया अस्वीकार है
हम सब मिलकर करें कोरोना योद्धाओं का अभिनन्दन..... हम सब मिलकर करें कोरोना योद्धाओं का अभिनन्दन.....
ठंडी ठंडी हवा में पकड़ मेरा हाथ 'लूसी' देखो दिल को करा गई ! ठंडी ठंडी हवा में पकड़ मेरा हाथ 'लूसी' देखो दिल को करा गई !
सच कहता हूँ झूठ बोलना ही नहीं जानता हूँ यूँ ही बेवजह नहीं मैं विचरण करता हूँ सच कहता हूँ झूठ बोलना ही नहीं जानता हूँ यूँ ही बेवजह नहीं मैं विचरण करता हूँ
न है वो सोना, चांदी, हीरा, मोती वह तो है हमारी प्रकृति। न है वो सोना, चांदी, हीरा, मोती वह तो है हमारी प्रकृति।
सभी जीते हैं हम भी हँस कर सहते हैं पीर अपनी तुम अपनी सहो सभी जीते हैं हम भी हँस कर सहते हैं पीर अपनी तुम अपनी ...
बंद करिये नौटंकीशाला जाति धर्म की, राजनीति हो अब कार्य और कर्म की। बंद करिये नौटंकीशाला जाति धर्म की, राजनीति हो अब कार्य और कर्म की।
टेढ़े मेढे चलते पाँव को, अक्सर मैं ढूँढा करती हूँ, उस गाँव को। टेढ़े मेढे चलते पाँव को, अक्सर मैं ढूँढा करती हूँ, उस गाँव को।
जिसके मुख से मैं निकलूं, उसके मुख की वाणी हूं। जिसके मुख से मैं निकलूं, उसके मुख की वाणी हूं।
तुम मानव हो, मां की कोख से आई हो आने कारण जीना है, अस्तित्व तुम्हारा सहना है तुम मानव हो, मां की कोख से आई हो आने कारण जीना है, अस्तित्व तुम्हारा सहना है
कभी कोई ऐसा काम ना करना जो बदले या बदलने में तब्दील कर जाएं। कभी कोई ऐसा काम ना करना जो बदले या बदलने में तब्दील कर जाएं।
और आज वो कहीं और हम कहीं है हम कब बदले, आज भी सही है। और आज वो कहीं और हम कहीं है हम कब बदले, आज भी सही है।
वो जो दर्द उनको सुखद और मीठा लगता है, पर अपनों के लिए बड़ी मुश्किल होती है, वो जो दर्द उनको सुखद और मीठा लगता है, पर अपनों के लिए बड़ी मुश्किल होती है,
होकर खड़े अकेले "आजाद हिंद " सेना को साकार किया होकर खड़े अकेले "आजाद हिंद " सेना को साकार किया