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mr. shaayarinavaaz

Romance

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mr. shaayarinavaaz

Romance

लुत्फ़ ए सफ़र

लुत्फ़ ए सफ़र

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किधर देखना हैं किधर देखते हैं 

है जिस ओर उनकी नज़र देखते हैं 


कभी तो आएगा इस आरज़ू में 

तेरी राह शाम ओ सहर देखते हैं 


हर इक आह में तू हर इक साँस में तू 

तेरा ख़्वाब हम रात भर देखते हैं 


हमें बद्दुआ दो तो शायद असर हो 

दुआ का असर मुख़्तसर देखते हैं 


नज़रबाज़ होने की तोहमत है हम पर 

जो हम उनको बस इक नज़र देखते हैं 


न तोहमत लगे सिर्फ भँवरों पे गुमनाम 

के हम तितलियों के भी पर देखते हैं


सुना है उन्हें शौक़ है शायरी का 

सो हम आज अपना हुनर देखते हैं


न मंज़िल न रहबर न पांव के छाले

के हम सिर्फ लुत्फ ए सफ़र देखते हैं


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